Sunday, April 13, 2014

संवाद:

कभी सपने देखती हो ?
हाँ, शायाद हर रात।
कभी सपनो मे जी कर देखा है ?
सपनो मे ?
हाँ। वंहा धूप भी होती है, छाओं भी, गहरे काले बादल, नीला आकाश और दूर दूर तक फैली धरती

पागल हो तुम

मैं जनता हूँ ।

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