Friday, June 17, 2011

उदासी (Melancholy)

मेरी हंसी को आँसुओं में बदलने वालो,
तकदीर का तमाशा है सिमट जाएगा।

बस बार बार गैरत को न ललकारो मेरे हमसफ़र,
मुक्तसर सा किस्सा है ख़तम हो जाएगा।

न तकदीर बदलती है, न ख़तम होते है रंजो-गम,
दम भर का है दम, निकल जाएगा।

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