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Wednesday, May 2, 2012

मन गुनगुनाता है।

मन गुनगुनाता है
जाने कहाँ जाता है
आकाश की ऊँचाई से
सागर की गहरायी को
जाने क्या बताता है।

मन गुनगुनाता है।

रोज़ के शोरगुल से,
सन्नाटो की मौनता से
फिर से मिल के आता है
और उन में खो जाता है।

मन गुनगुनाता है।

रास्ते पर अनभिज्ञता से,
मंजिल कहाँ पाता है
यूँही चला जाता है
फिर क्यूँ गुनगुनाता है।

Saturday, December 31, 2011

बस यूँही ।

कैसे कह दू के तुम सब से हट कर हो,
तुम ही तो तो थे जो मेरे हमसफ़र बन कर मेरे साथ चले,
तुम ही तो थे जो मेरे ख्वाबो में थे,
तुम ही तो हर वक़्त मेरे ख्यालो और मेरी सांसो में थे,
और अब क्यूँ कहते हो के मैं खुद से यह कहू की तुम सब से हट कर हो ?
तुम तो मेरी रग रग में बसे हो,
मेरी जिस्म की जान बन कर.

Wednesday, December 28, 2011

अनामिका।

समझ नहीं पाता मैं तुमको,
या तुम्हारे विस्तार को,
सुबह से दिन भर तक,
तुम्हे जानने का प्रयास करता हूँ।

जब देखता हूँ इन्द्रधनुष को,
कुछ नए रंग  पाता हूँ। 
और इन रंगों की कलाकृति में,
स्वयं को अकेला खड़ा पता हूँ।

आकाश में तारो के जमघट में,
एक नया तारा देखता हूँ,
फिर धरा पर चुपचाप बैठकर,
विचारो का मंथन करता हूँ

सुनता हूँ अब जब भी तुमको,
क्यूँ शब्दों में नए अर्थ ढूँढता हूँ,
फिर इन्ही शब्दों, अर्थो में,
नया ताना बना बुनता हु।

समझ नहीं पता मैं तुमको,
या तुम्हारे विस्तार को,
सुबह से दिन भर तक,
तुम्हे जानने का प्रयास करता हूँ।

Sunday, July 3, 2011

सपनो की यात्रा।

क्या कभी सपने 
कोंध्ते हुए आते है
रोंदते है यादो को
कुचल देते है अरमान
और तिलमिला देते है अंतर आत्मा को 

सपनो तुम क्यूँ आते हो 
तुम तो अपने गहन, निश्चल 
सीमायों से परे लोकं में 
विचरण करते हो
फिर क्यूँ नीरव, सपाट लोक
की सैर को चल देते हो 

कभी क्या तुमने सोचा है
अपने प्रतिबिम्ब के परिणामो को
क्या देखा है उतर कर 
ह्रदय की गहराई को

सपनो तुम तो अपना खेल 
खेलना जानते हो
नहीं जानते मेरी संवेदनाओ को
और नहीं जानते संवेदनाओ से परे
छिपी जीवन की सचाई को

तुम तो बस आ जाते हो
यकायक कोंध्ते हुए,
रोंदने के लिए कुछ अरमानो को
और तिलमिला देते हो अंतर आत्मा को

Wednesday, June 29, 2011

Life go on ...

Goodbye is the word I always hated and you know it.

Be this from me to you or from you to Sunil or from Sunil to you, I don't know but good bye brings unanticipated, sudden burst of tears for what we lose – our love forever!
I know you loved him from the deapth of your heart. You liked his something which you could not find in me. This is not pity or sympathy to me, but a reality which I need to face it now throughout my life.

I am not sure what feelings you still have for him now, but at least I can understand it is not easy for you to forget the one whom you loved so deeply, for whom you felt the pain and became impatient to hear his voice again and again. You couldn’t sleep throughout nights, went far away in melancholy. That was your love.

As now I too undergo the same pain myself, I believe that let you go on and cry till you run complete dry, it's alright babe, go on and scream at your broken dreams.

Let sorrow have its day and when it's done, Life will go on…

..and I will find my way, sometime, somewhere…

Saturday, January 26, 2008

princess -


He slowly came near and touched her golden hairs. “Will you marry me,” he murmured in her ears. “No”, she replies. “Why not,” he asks? She closed her eyes and said “because I am not a princess.”